साल 1965 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में भारत को जीत हासिल हुई थी। जीत तो मिली पर इसमें भारत आर्थिक रूप से बहुत कमजोर हो चूका था।
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इसी बीच चीन ने तिब्बत को अपने कब्जे में लेने के लिए भारत के साथ युद्ध की घोषणा कर दी, जिसके लिए भारत बिल्कुल तैयार नहीं था।
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आर्थिक स्तिथि को मजबूत करने के लिये तत्कालीन प्रधानमंत्री 'लालबहादुर शास्त्री' ने सेना की मदद के लिये 'भारतीय रक्षा कोष' की स्थापना की।
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शास्त्रीजी ने रेडियो द्वारा लोगों और राजे-रजवाड़ों से देश के लिये मदद मांगी। ये खबर जब निज़ाम तक पहुंची तो उन्होंने शास्त्रीजी को हैदराबाद में आने का निमंत्रण दिया।
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शास्त्रीजी देर न करते हुए हैदराबाद के लिये निकल पड़े। 'बेगमपेठ' एयरपोर्ट पर निज़ाम उस्मान अली खान ने उनका स्वागत किया।
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जब शास्त्रीजी ने निज़ाम को स्थिति से अवगत कराया तो बिना सोचे निज़ाम ने 5 टन सोना यानि 5000 किलो सोने से भरे बक्सों के साथ शास्त्रीजी को दिल्ली की और रवाना किया।