अब तक आपने ऐसे कई शहर और गाँवों के बारे में सुना होगा जहाँ अमीर लोग रहते है| मगर, आपने शायद ही ऐसे शहर के बारे में सुना होगा जहाँ आपको रहने के लिए पैसों की कोई जरुरत नहीं होती है|
इस जगह का नाम 'ऑरोविले' - Auroville City है, जो तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले में स्थित है| इसकी स्थापना 28 फरवरी 1968 में अरविंदो सोसाइटी प्रोजेक्ट के तहत मीरा अल्फाजों ने की थी|
यहाँ रहने के लिए आपको ना पैसों की जरुरत है और ना हीं भारत सरकार की कोई राजनीती इस शहर से कोई ताल्लुक रखती है|
यहाँ रहने के लिए आपको ईर्ष्या और भेदभाव को भूलकर पूरी तरह से एक सेवक बनकर रहना होता है| हर धर्म और जाति के लोग यहाँ रहते है|
इस शहर को बनाने के पीछे भी यही उद्देश्य था कि लोग यहाँ एक दूसरे से भेदभाव या ऊंच-नीच या जात-पात को पूरी तरह से भूलकर रहें|
शहर के बीचोबीच एक मातृमंदिर स्थित है| इस मंदिर में कोई पूजा नहीं होती है बल्कि यहाँ योग किया जाता है| ऑरोविले भारत के संविधान के एक अधिनियम के माध्यम से ऑरोविले फाउंडेशन द्वारा शासित है|
ऑरोविले फाउंडेशन के सचिव को किसी व्यक्ति विशेष की ऑरोविले सदस्यता की पुष्टि या उसे ख़ारिज करने का अधिकार है| यहाँ रहने वालों की संख्या करीब 3300 हो चुकी है|
ऐसे शहर को अपने अनूठे प्रयास के लिए यूनेस्को का भी साथ है और भारत के संविधान के एक अधिनियम के तहत ऑरोविले फाउंडेशन के द्वारा शासित इस शहर को भारत सरकार का समर्थन भी प्राप्त है|