चीन में पाए जाने वाले इस फल को 'मोंक फ्रूट' कहते है| भारत में इस फल को सीएसआईआर-आइएचबीटी संस्थान ने पालमपुर में तैयार किया है|
इस फल को या इस फल से बने किसी भी उत्पाद को डाइबिटीज के मरीज भी आसानी से खा सकते है| मगर उसमे अलग से चीनी की मिलावट नहीं होनी चाहिए इसका ध्यान रहे|
मोंक फ्रूट के इस पौधे को सबसे पहले चीन में उगाया गया था| मगर अब पालमपुर में सीएसआईआर और एनबीपीजीआर की मंजूरी के बाद अब भारत में भी बड़े स्तर पर तैयार किया जा रहा है|
इस फल के मोगरोसाइड तत्व से मिठास का नया विकल्प तैयार किया गया है, जो चीनी के मुकाबले करीब 250 गुना अधिक मीठा होता है|
इसमें एमिनो एसिड, फ्रक्टोज, खनिज और विटामिन शामिल है| बता दें कि किसी पेय पदार्थ या पके हुए भोजन में उपयोग में लाने के बाद भी इसकी मिठास कायम रहती है|
मोंक फ्रूट में कोई कैलोरी, कार्बोहाइड्रेट या वसा नहीं होता है, इसलिए यह उन लोगों के लिए एक बढ़िया विकल्प हो सकता है जो अपनी कमर को देखते हैं|
2011 में किये गए एक अध्ययन के अनुसार, गले में खराश से राहत देने वाले और कफ को कम करने वाले गर्म पेय बनाने के लिए सदियों से टीसीएम में मोंक फ्रूट का उपयोग किया जाता रहा है|
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक इस फल के पौधे के जरिये हमारे देश में किसानों के पास आय का एक और साधन पैदा हो जाने की उम्मीद बढ़ जायेगी|