राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित कुम्भलगढ़ किले की दीवार है| यह किला 1100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और इसकी दीवार 36 किलोमीटर तक लम्बी है|

इस दीवार की चौड़ाई भी इतनी है की इस पर करीब 10 घोड़ों को एकसाथ दौड़ाया जा सकता है| साल 1443 - 1458 के बीच बने इस किले का निर्माण महाराणा कुम्भा ने किया था|

इस किले की दीवार की बनावट कई घाटियों को मिलाकर दुश्मनों के हमलो से सुरक्षित रखने के लिहाज से बनवाया गया है| 

किले के ऊंचे स्थानों पर महल और 300 से ज्यादा मंदिरों के साथ - साथ कई इमारतें भी बनवायी गयी है और कुछ भूमि को खेती की जाती थी|

महल तक पहुंचने के लिए 7 द्वारों को पार करना पढता है| पृथ्वीराज चौहान और महाराणा सांगा जैसे योद्धाओं का बचपन इस किले में बीता था|

कहा जाता है की किले के निर्माण के समय रात के वक़्त महाराणा कुम्भा अंधेरा दूर करने के लिए 50 किलो घी और 100 किलो रुई का रोज प्रयोग करते थे, जिससे बड़े बड़े लैंप जलाकर प्रकाश किया जाता था|

इस किले के भीतर एक और किला है जिसे कटारगढ़ के नाम से जाना जाता है और इसे कुम्भलगढ़ किले  की आँख भी कहा जाता है|

किला बन जाने के बाद से ही इस किले पर हमले शुरू हो गये थे| किले की 36 किलोमीटर तक फैली इस दीवार की वजह से किला हमेशा अजेय रहा है|

मगर, आखिर में राजा अकबर ने और तीन राजाओं ने मिलकर इस किले पर हमला किया था और जीता था| इस बार किले किले की हार का वजह किले में पानी का ख़तम होना था|