साल 1969 के समय राजेश खन्ना एक सुपरस्टार हुआ करते थे। उनके स्टारडम और लोगों में उनके क्रेज़ के बारे में आपने कई किस्से सुने भी होंगे। मगर एक समय ऐसा आया की उनका स्टारडम ढलने वाली शाम की तरह हो रहा था और ऐसे में उनके करियर के डूबती नैया को और डुबाने में कहानीकार सलीम खान का भी बहुत बड़ा हाथ रहा।
ऐसे हुई राजेश खन्ना के स्टारडम गिरने की शुरुवात
निर्माता बी. आर. चोपड़ा और यश चोपड़ा के निर्देशन में बन रही फिल्म ‘इत्तेफ़ाक़’ के बनने के बाद यश चोपड़ा की शादी हो गयी। जिसके बाद यश चोपड़ा को जिम्मेदारी का एहसास हुआ और उन्होंने खुद अपनी फ़िल्में बनाने का फैसला ले लिया। इस सोच के चलते यश चोपड़ा ने फिल्म ‘दाग’ बनायीं।
फिल्म ‘दाग’ बनाने के समय उन्हें अपनी फिल्म में पैसा लगाने वाले डिस्ट्रीब्यूटर की तलाश थी, जो उन्हें नहीं मिल रहे थे। ऐसे में फिल्म इत्तेफ़ाक़ में यश चोपड़ा के साथ काम कर चुके और एक रिश्ता बना चुके Rajesh Khanna ने उनकी फिल्म की कहानी सुनी। कहानी अच्छी लगी और Rajesh Khanna ने ‘दाग’ फिल्म साइन कर ली।
राजेश खन्ना के फिल्म साइन करते ही फिल्म में पैसा लगाने वाले डिस्ट्रीब्यूटर्स की लाइन लग गयी। इस फिल्म में Rajesh Khanna के साथ शर्मीला टैगोर और राखी भी मुख्य भूमिका में थे। फिल्म बनी और फिल्म के साथ-साथ फिल्म के गाने भी सुपरहिट साबित हुए। इस फिल्म ने Rajesh Khanna को एक बार फिर सफलता की ऊंचाइयों पर पंहुचा दिया।
यश चोपड़ा साहब मन ही मन Rajesh Khanna के शुक्रगुजार रहे होंगे, क्यूंकि अगर राजेश खन्ना ये फिल्म साइन नहीं करते तो उन्हें फिल्म में पैसा लगाने वाले डिस्ट्रीब्यूटर्स शायद ही मिलते। बी. आर. चोपड़ा से अलग होकर यश चोपड़ा ने अपनी पहली ही फिल्म से बॉलीवुड में निर्देशक के तौर पर अपने कदम जमा लिए थे।
इसके बाद कहानीकार सलीम खान और जावेद अख्तर साहब निर्देशक यश चोपड़ा के पास एक बहुत ही बेहतरीन कहानी लेकर आये और उन्हें इस पर फिल्म बनाने के लिए कहा। यश चोपड़ा को उनकी कहानी बहुत पसंद आयी। यश चोपड़ा के रिश्ते Rajesh Khanna के साथ काफी अच्छे थे तो उन्होंने इस फिल्म को भी उन्हीं के साथ बनाने का विचार किया।
यश चोपड़ा की इस सोच में रूकावट का काम किया सलीम खान ने, जिनके राजेश खन्ना के साथ फिल्मों में काम करने का अनुभव अच्छा नहीं था। सलीम खान फिल्म ‘हाथी मेरे साथी’ में राजेश खन्ना के साथ काम कर चुके थे। इस फिल्म की शूटिंग के दरम्यान निर्माता-निर्देशक को Rajesh Khanna की वजह से काफी परेशानियां झेलनी पड़ी थी, जिससे सलीम खान साहब अच्छी तरह से वाकिब थे। इसी वजह से सलीम साहब ने यश चोपड़ा को राजेश खन्ना को अपनी फिल्म में लेने से साफ़ इनकार कर दिया था।
काफी हिचकिचाहट के बाद यश चोपड़ा ने सलीम साहब की बात मान ली और उनके कहने पर ही ‘बॉम्बे टू गोवा’ और ‘जंजीर’ जैसी हिट फ़िल्में देने वाले अमिताभ बच्चन को अपनी फिल्म के लिए साइन कर लिया। साल 1975 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘दीवार’ में अमिताभ बच्चन ने अपना बेस्ट परफॉरमेंस दिया और ये फिल्म जिसमें शशि कपूर भी थे, एक जबरदस्त हिट साबित हुई।इसके बाद यश चोपड़ा ने अमिताभ बच्चन के साथ ‘कभी कभी’, ‘त्रिशूल’, ‘सिलसिला’ और ‘काला पत्थर’ जैसी कामयाब फ़िल्में की।
अगर Salim Khan, Amitabh Bachchan की सिफारिश यश चोपड़ा से नहीं करते तो हो सकता था कि Rajesh Khanna बॉलीवुड पर कुछ और सालों तक अपना स्टारडम बनाये रखते और इंडस्ट्री पर राज करते। मगर किस्मत में अमिताभ बच्चन का सितारा बुलंद होना लिखा था। अमिताभ सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए और राजेश खन्ना का करियर ढलान पर आ गया।
दोस्तों, क्या आपके मुताबिक अगर यश चोपड़ा की फिल्मों में अमिताभ बच्चन की जगह राजेश खन्ना होते तो क्या फ़िल्में हिट होती? कृपया अपना जवाब कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर दीजियेगा और जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया इसे लाइक और शेयर करना मत भूलियेगा।
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