यह एक ऐसा शहर है जहाँ पूरी दुनिया के पुरुष और महिलाएं शान्ति से रहते है| इस शहर की स्थापना 28 फरवरी 1968 में अरविंदो सोसाइटी प्रोजेक्ट के तहत मीरा अल्फाजों ने की थी|
यहाँ रहने के लिए आपको न पैसों की जरुरत है और नहीं भारत सरकार की कोई राजनीती इस शहर से कोई ताल्लुक नहीं रखती है| यहाँ रहने के लिए आपको ईर्ष्या और भेदभाव को भूलकर पूरी तरह से एक सेवक बनकर रहना पड़ता है|
इस शहर को बनाने के पीछे भी यही उद्देश्य था कि लोग यहाँ एक दूसरे से भेदभाव या ऊंच-नीच या जात-पात को पूरी तरह से भूलकर रहें|
आपको बता दें कि इस शहर के बीचोबीच एक मातृमंदिर स्थित है| इस मंदिर में कोई पूजा नहीं होती है बल्कि यहाँ योग किया जाता है| ऑरोविले भारत के संविधान के एक अधिनियम के माध्यम से ऑरोविले फाउंडेशन द्वारा शासित है| मतलब, ऑरोविले फाउंडेशन के सचिव को किसी व्यक्ति विशेष की ऑरोविले सदस्यता की पुष्टि या उसे ख़ारिज करने का अधिकार है|
ऐसे शहर को अपने अनूठे प्रयास के लिए यूनेस्को का भी साथ है और भारत के संविधान के एक अधिनियम के तहत ऑरोविले फाउंडेशन के द्वारा शासित इस शहर को भारत सरकार का समर्थन भी प्राप्त है|
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