साफ़-सफाई अभियान के काफी पहले इस गांव का नाम पूरे एशिया में मशहूर हो चूका था| Asia Ka Sabse Saaf Gaanv जिसे देखकर ऐसा लगता है कि केवल डिग्री लेने से ये साबित नहीं होता कि कोई समझदार और पढ़ा-लिखा है| असल में पढ़ा-लिखा वो होता है जो इंसान होने का मतलब समझे और अपने आस-पास साफ़-सफाई रखे|
मावल्यान्नांग – Asia Ka Sabse Saaf Gaanv
भारत के मेघालय में स्थित मावल्यान्नांग नामक यह गांव सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे एशिया में अपनी इस खासियत के लिए जाना जाता है| इस गांव को एशिया का सबसे साफ़ गांव का दर्जा हासिल हुआ है|
आपको बता दें कि इस गांव की केवल यही एक खासियत नहीं है| मावल्यान्नांग गाँव में 100 प्रतिशत लोग साक्षर है और पढ़े-लिखे होने के बावजूद इस गांव के लोग कृषि को प्राथमिकता देते है|
मावल्यान्नांग गांव सुपारी की खेती के लिए विख्यात है| इस गांव के लोग सरकार पर निर्भर नहीं रहते है और खुद ही अपने गांव को साफ़ रखना अपना कर्तव्य समझते है|
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इस गांव के बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सब यही कोशिश करते है उनका गांव हमेशा साफ़-सुथरा ही रहे और इसी कारण से इस गांव को भगवान का बगीचा भी कहा जाता है|
मावल्यान्नांग में खासी समुदाय के करीब 15 परिवार रहते है| आपको बता दें कि इस समुदाय की जनजाति के लोग भारत के मेघालय, असम और बांग्लादेश के कुछ क्षेत्रों में रहते है|
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खासी समुदाय की परंपरा के अनुसार बेटे को नहीं बल्कि अपनी सबसे बड़ी बेटी को सम्पति और धन-दौलत का अधिकार मिलता है| इतना ही नहीं बेटी अपनी माँ के उपनाम को आगे बढाती है और बेटी की शादी होने पर पति को अपने ससुराल में रहना होता है|
मावल्यान्नांग गांव में आपको सुन्दर पानी के झरने, वृक्षों की लंबी-लंबी जड़ों से बने आकर्षक पूल जिन्हें देखकर आप चकित रह जाएंगे, देखने को मिलेंगे|
मावल्यान्नांग गांव में आपको बांस की लकड़ी से बने कूड़ेदान भी देखने मिलेंगे| यहाँ के लोग इस कूड़े को भी व्यर्थ नहीं जाने देते| जमीन में एक बड़ा सा गड्ढा खोदकर इस कूड़े को उसमे डालकर खाद बनाया जाता है और खेती के लिए उपयोग में लाया जाता है|
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