बॉलीवुड में जब कोई नया कलाकार संघर्ष के दौर से गुजरता है तब उन्हें बड़े-बड़े निर्देशक और निर्माताओं के पीछे भागना पड़ता है। मगर वहीँ जब वो एक स्टार बन जाते है तो सबकुछ उल्टा हो जाता है और बड़े-बड़े निर्माता-निर्देशक उनके पीछे-पीछे आते है, उनके साथ काम करना चाहते है। बहुत कम निर्देशक ऐसे होते है जो इन सुपरस्टार हस्तियों को अपनी जगह बताने की काबिलियत रखते है। ऐसा ही कुछ हुआ था तानाजी फेम अभिनेत्री काजोल के साथ। आइये जानते है क्या है किस्सा।
एक बड़ा स्टार बनने के बाद कहीं न कहीं निर्माता उनकी मनचाही डिमांड को पूरा करने में आगे रहते है। ऐसे ही हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म ‘तानाजी’ की मशहूर अभिनेत्री Kajol ने भी अपने निर्माता के सामने एक शर्त रखी थी, मगर उस निर्माता ने काजोल की बात मानने से साफ़ इनकार कर दिया था। चलिए जानते है पूरा किस्सा क्या है।
ये बात है साल 1999 की जब तानाजी फेम काजोल का बॉलीवुड में दर्जा काफी बड़ा हो था, वो एक टॉप की अभिनेत्री थी। काजोल की फ़िल्में ‘बाजीगर’, ‘करन अर्जुन’, ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ और ‘कुछ कुछ होता है’ की सफलता ने उन्हें करियर के टॉप पर लेकर खड़ा कर दिया था। बॉलीवुड का हर निर्माता और निर्देशक काजोल के साथ काम करना चाहते थे।
इसी दौरान काजोल को दक्षिण भारत के एक निर्माता की फिल्म का ऑफर आया, जो कि साउथ फिल्म का ही रीमेक थी। साल 1996 में आयी तेलगु फिल्म ‘पवित्र बंधम’ के हिंदी रीमेक के राइट्स निर्माता डी रामानायडू ने खरीद लिए थे। इस फिल्म का निर्देशन सतीश कौशिक करने जा रहे थे और फिल्म में अभिनेता के रूप में अनिल कपूर और अभिनेत्री काजोल को लिया गया था।
इस फिल्म की शूटिंग हैदराबाद में होनी थी, जहां डी रामानायडू के स्टूडियोज भी है और उन स्टूडियोज के पास उन्होंने अपने गेस्ट हाउस भी बनवा रखे थे। जहां उनकी टीम रहने के साथ-साथ शूटिंग भी करती है, ताकि शूटिंग के सेट तक ट्रेवल करने का टाइम बच सके और काम जल्दी से हो। ये काम करने का तरीका डी रामानायडू का था।
जब तानाजी फेम काजोल हैदराबाद शूटिंग के लिए पहुंची तो प्रोडक्शन वालों को फ़ोन करके उनके ठहरने की जगह के बारे में पुछा कि बताइये कि मुझे किस होटल में ठहरना है। प्रोडक्शन वालों से तब उन्हें जवाब मिलता है कि ठहरने के लिए कोई होटल नहीं है, बल्कि निर्माता डी रामानायडू के स्टूडियो के पास ही गेस्ट हाउस है जहां सबके रहने की व्यवस्था की गयी है।
काजोल को ये बात बहुत ही अजीब लगी कि एक बड़े स्टार को लक्ज़री होटल में रुकने की बजाय उन्हें एक गेस्ट हाउस में ठहराया जा रहा है। इस पर काजोल ने प्रोडक्शन वालों से कह दिया कि वो सिर्फ ताज जैसी होटल में ही रुकेंगी और गेस्ट हाउस में बिल्कुल नहीं ठहरेंगी। इसके बाद काजोल ने Anil Kapoor को फ़ोन करके बताया कि वो यहां ऐसे किसी गेस्ट हाउस में नहीं रुक सकती है। वो निर्माता से बात करके उन्हें किसी अच्छी होटल में रुकवाएं।
काजोल के कहने पर अनिल कपूर ने निर्माता डी रामानायडू को फ़ोन किया और उन्हें बताया कि काजोल गेस्ट हाउस में रुकने को तैयार नहीं है और उनके लिए होटल में एक रूम बुक करवाया जाए। यहां बात करें डी रामानायडू की तो आपको बता दें कि उनका काम करने का तरीका ऐसा है कि वो शुरुवात में जो भी अभिनेता या अभिनेत्री अपना मेहनताना मांगते है वो बिना कुछ कहें उसे देने को तैयार हो जाते है यानि कि मुंहमांगी रकम देते है।
साउथ इंडस्ट्री में काम करने का तरीका भी इसी प्रकार का है, जिसमें सितारों को उनका मुंहमांगा मेहनताना दे दिया जाता है, मगर इसके बाद उन्हें निर्माता के तौर-तरीकों के साथ काम करना पड़ता है। वहीँ अगर बात करे बॉलीवुड की तो यहां सितारों के साथ भाव-ताव करके कम से कम मेहनताने दिए जाते है और बाद में शूटिंग के दौरान उनके नखरें झेले जाते है।
यही कारण था कि काजोल को लगा कि निर्माता को उनकी बात माननी पड़ेगी, मगर डी रामानायडू ने साफ़ कह दिया था कि रहना तो उन्हें गेस्ट हाउस में पड़ेगा और अगर वो नहीं रहना चाहती तो जो साइनिंग अमाउंट उन्होंने दिया है वो वापस लौटा दें। अनिल कपूर जब तक ये बात काजोल तक पहुंचते, निर्माता डी रामानायडू ने साउथ की एक अभिनेत्री से बात भी कर ली जो काजोल के बदले इस फिल्म में काम करने के लिए तैयार भी हो गयी थी।
दोस्तों, क्या आपके मुताबिक तानाजी फेम काजोल जैसी मशहूर अभिनेत्री का अपने ठहरने के लिए होटल में कमरा मांगना सही था? या फिर डी रामानायडू के काम करने का तरीका सही था? कृपया अपना जवाब कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर दीजियेगा और जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया इसे लाइक और शेयर जरूर कीजियेगा।