बॉलीवुड इंडस्ट्री में दादा मुनी के नाम से मशहूर कुमुद कुमार गांगुली उर्फ़ अशोक कुमार का जन्म बिहार के ‘भागलपुर’ शहर में 13 अक्टूबर 1911 के दिन एक मध्यमवर्गीय बंगाली परिवार में हुआ था। अशोक कुमार की छवि भले ही एक सदाबहार अभिनेता की रही है, लेकिन बहुत कम लोग ये जानते है कि वो फिल्म इंडस्ट्री के पहले ऐसे अभिनेता थे जिन्होंने अभिनेताओं की परंपरागत शैली को तोड़ते हुए एंटी हीरो की भूमिका निभाई थी।
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मशहूर वेबसाइट ‘लहरें’ के मुताबिक जिस गाने से ब्रिटिश सरकार के खेमे में हलचल मचाई थी उसके बोल थे ‘दूर हटो ऐ दुनियावालों हिंदोस्तां हमारा है!’ ये गाना उस समय स्वतंत्रता सैनानियों में काफी मशहूर हुआ था। जब ब्रिटिश हुकूमत को इस गाने के बारे में पता चला तो उन्होंने इस गाने पर सवाल उठाये।
यह फिल्म काफी मशहूर हुई थी और अच्छा कलेक्शन कर रही थी और इसे अंग्रेजों की नज़र से बचने का सबसे बड़ी परेशानी निर्माता को थी। ऐसे में अशोक कुमार ने एक चाल चली, उन्होंने अंग्रेजों को ये कह दिया कि ये गाना अंग्रेजों के खिलाफ नहीं बल्कि जर्मन और जापानियों के खिलाफ है।
अंग्रेजों को यकीन दिलाने के लिए अशोक कुमार को थोड़ी मेहनत करनी पड़ी। साथ ही द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजों को हिन्दुस्तान में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ और कोई बवाल भी नहीं चाहिए था। लिहाजा उन्होंने फिल्म को हरी झंडी दे दी। यह फिल्म अशोक कुमार के और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के इतिहास का नील का पत्थर मानी गयी।
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इस फिल्म ने कलकत्ता के ‘रॉक्सी’ सिनेमा हॉल में लगातार १९६ सप्ताह तक चलने का रिकॉर्ड बनाया। इस गाने को पहली बार सिनेमाघरों में पब्लिक डिमांड पर कई बार बजाया जाता और इतना ही नहीं बॉलीवुड इतिहास में ये फिल्म 1 करोड़ का कलेक्शन करने वाली पहली फिल्म बनी। दोस्तों, गीतकार कवि प्रदीप के लिखे इस गीत ‘दूर हटो ऐ दुनियावालों हिंदोस्तां हमारा है!’ के लिए कवि प्रदीप को अंडरग्राउंड होना पड़ा था, ताकि उन्हें ब्रिटिश सरकार गिरफ्तार ना कर ले। इनके लिए एक सलामी तो बनती है। और अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया इसे लाइक और शेयर जरूर कीजियेगा।