किसी हवाईजहाज को हाइजैक कर अमेरिकन सरकार से पैसे वसूल कौन कर सकता है और अगर कर सकता है तो बच कैसे सकता है? चौंक गये ना आप ? तो चलिये, हम आपको बता रहें है एक ऐसे रहस्यमयी व्यक्ति के बारे में जिसमे अमेरिकन एफबीआई को करीब ४५ साल तक परेशान कर दिया था और अंत में इस व्यक्ति की खोज भी बंद कर दी गयी, इस व्यक्ति का नाम था डी.बी. कूपर ।
डी.बी. कूपर
ये घटना है २४ नवम्बर १९७१ की, जब यह आदमी ‘पोर्टलैंड’ अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे के ‘नार्थवेस्ट एयरलाइन्स’ के हवाईजहाज का टिकट २० डॉलर देकर खरीदता है और अपना नाम डैन कूपर दर्ज करता है। हवाईजहाज में बैठने के बाद डैन कूपर ने अपने पास से गुजर रही हवाईजहाज परिचारक को अपने लिए शराब और सिगरेट लाने को कहा, साथ ही एक चिट्ठी भी दी और उस चिट्टी को पढ़ने की गुजारिश भी की। उस चिट्ठी में लिखा था कि ‘मेरे पास जो ब्रीफ़केस है उसमे बम है, मैं चाहता हूं कि आप मेरे पास बैठकर इस बारे में बात करें।’ ये पढ़ते ही हवाईजहाज परिचारक उसके पास बैठी और उसके पास रखे बम के दर्शन भी ले लिए।
बम दिखाते हुए कूपर ने बताया कि अगर उसी मांगे पूरी नहीं की गयी तो वो इस बम को एक्टिवेट कर देगा। हवाईजहाज परिचालक ने ये बात अपने पायलेट को बताई जिसके बाद तुरंत बाद नार्थवेस्ट एयरलाइन्स और एफबीआई तुरंत सकते में आ गयी। हवाईजहाज अब हाईजैक हो चूका था।
कूपर ने २,००,००० डॉलर और चार पैराशूट की मांग की, जिसके बाद हवाईजहाज में बैठे ३६ लोगों को वह रिहा कर देगा। उसकी मांग को मंजूर भी कर लिया गया। कूपर की मांग के हिसाब से हवाईजहाज को ‘अब्डोनल’ हवाईअड्डे पर रुकाया गया और कूपर तक पैसे और चार पैराशूट पहुचाये गये जिसके बाद कूपर ने हवाईजहाज में सिर्फ एक पायलेट और एक हवाईजहाज परिचारक को छोड़कर बाकी सभी यात्रियों को रिहा कर दिया।
ऍफ़बीआई ने दिये गये पैसों के साथ एक चालाकी की, उन्होंने १०० डॉलर के नोट की जगह, २०-२० डॉलर के सारे नोट दिये और जिससे पैसों के थैले का वजन करीब १० किलो से ज्यादा हो गया था। पर कूपर ने इस पर आपत्ति नहीं जताई और हवाईजहाज को ‘मैक्सिको’ की तरफ लेकर जाने को कहा।
पायलेट ने उसे बताया की हवाईजहाज में इतना पेट्रोल नहीं है, तब कूपर ने उसे ‘रीनो’ की तरफ करीब १०००० फुट की ऊंचाई और २०० मिल की रफ़्तार से ले जाने को कहा। हवाईजहाज जैसे ही कूपर के बताई गयी ऊंचाई पर पहुंचा, कूपर ने पैसों और पैराशूट के साथ हवाईजहाज के पीछे के दरवाजे से छलांग लगा दी और जैसे गायब हो गया।
अमेरिकन एफबीआई को इसकी पूरी जानकारी थी की वो कहां कूदा, एफबीआई और मिलिट्री, कई हफ्तों तक जंगलों की खाक छानते रहें,पर लाख कोशिशों के बावजूद कूपर कहीं भी नहीं मिला। कुछ ही दिनों में डैन कूपर अमेरिकन अख़बारों की सुर्खियों में आ गया। ऐसे ही एक अखबार में एक पत्रकार ने उसका नाम गलती से डी.बी. कूपर छाप दिया, लोगों को ये नाम काफी पसंद भी आया, तब डैन कूपर, डी.बी. कूपर कहलाने लगा।
इस घटना के करीब ८ साल बाद ७ फरवरी १९८० में कोलंबिया नदी के किनारे लकड़ियां इकठ्ठा कर रहे एक बाप और बेटे को रेत में दबे नोटों के तीन बंडल मिले, जो गलने की वजह से खराब हो चुके थे। मगर बंडल के बीच में मौजूद नोटों की हालत अब भी सही थी।
एफबीआई ने जब नोटों के सीरियल नंबर मिलकर देखें तो पता चला कि ये उन्हीं नोटों में से थे जो डी बी कूपर को दिए गए थे। इससे ये कयास लगाए जाने लगे कि हो सकता है कि कूपर को दिए नोटों के बैग में से ये बंडल नीचे गिर गए होंगे और नदी में बहते हुए इस जगह तक आ गए होंगे।
कई खोजबीन और तर्क-वितर्क के बाद भी कूपर के बारे में कभी कोई ठोस सुराग नहीं मिला। ऐसा करते हुए एफबीआई को करीब ४५ साल गुजर गए, जिसके बाद उन्होंने इस केस की फाइल को बंद करने का फैसला ले लिया। बहरहाल डैन कूपर आज भी लोगों की नज़रों में एक सज्जन चोर की है और हमेशा रहेगा।
दोस्तों, अमेरिकी सरकार को इस तरह से चकमा देने वाले इस इंसान के बारे में आपका क्या कहना है? कृपया अपनी राय कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताइयेगा और जानकारी अच्छी लगे तो कृपया इसे लाइक और शेयर जरूर कीजियेगा।