भारत में स्थित आगरा के ताजमहल की ख़ूबसूरती से कौन वाकिब नहीं है? आगरा का नाम लेते ही पहली तस्वीर ताजमहल की ही जहाँ में आती है| मगर Agra Ke Taj Mahal की ख़ूबसूरती को टक्कर देने के लिए स्वामीबाग का Radhaswami Bhavan के बारे में शायद ही किसी ने सुना होगा| चलिए जानते है इसके बारे में|
Radhaswami Bhavan | राधास्वामी समाधी भवन
आगरा के दयालबाग में स्थित राधास्वामी समाधी भवन के बनने की शुरुवात साल 1904 में हुई थी| इस समाधी को बनाने के लिए करीब 116 साल का समय लग गया| बता दें कि इस समाधी भवन को बनाने में 200 से 300 मजदूर काम कर रहे है और अधिकांश मजदूरों की यहाँ चौथी पीढ़ी भी काम करने में जुटी हुई है|
संगमरमर पत्थरों पर बिना मशीनों के हाथों से किया गया काम नज़र को चौंधिया देता है| इसकी दीवारों पर बने अंगूर के गुच्छे, गुलाब के फूल, पेड़ों व पत्तियों के डिज़ाइन, ऐसे प्रतीत होते है जैसे इंसानों ने नहीं प्रकृति के बनाये हुए है| आगरा के किसी भी सुन्दर जगह पर ऐसी कारीगिरी देखने नहीं मिलती है|
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समाधी के गुम्बद के शीर्ष पर कमल की आकृति वाला कलश भी लगाया जा चूका है| यह कलश करीब साढ़े पांच टन स्टील और कॉपर से बनाया गया है| इसके ऊपर छह Micron (माइक्रोन) और सोने का पत्तर चढ़या गया है, जिसमे करीब 16.5 किग्रा सोने का इस्तेमाल किया गया है|
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करीब 161 फुट ऊँचे इसके गुम्बद पर 31.4 फुट ऊंचा कलश लगाया गया है, जो सात हिस्सों में बनाया गया है| समाधी के चारों कोनों पर बनी मीनारें 121.3 फुट की है| ख़बरों की माने तो इस समाधी को बनाने में अब तक करीब 400 करोड़ रुपये की लागत आयी है|
बता दें कि इस समाधी को बनाने के लिए किसी भी सरकारी या गैर सरकारी मदद नहीं ली गयी है| समाधी बनाने का पूरा खर्च राधस्वामी मत के अनुयायियों ने अपने पैसे से इसका निर्माण करवाया है|
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