अक्सर खेल के मैदान में India vs Pakistan के टॉस करके किसी फैसले को हमने कई बार देखा होगा| मगर आज हम आपको ऐसी बग्घी के बारे में बताने जा रहे है जिसे भारत ने पकिस्तान से बटवारे में टॉस जीतकर हासिल किया था| चलिए पूरा किस्सा जानते है|
साल 1947 में अंग्रेजों से आज़ादी मिलने के बाद अखंड भारत को दो भागों में विभाजित किया गया था| इस विभाजन में भारत और पाकिस्तान के बीच जमीन से लेकर सेना तक हर चीज का बंटवारा हुआ था| जिसमे राष्ट्रपति की सुरक्षा में तैनात रहने वाली गवर्नर जनरल बोडीगार्ड्स रेजिमेंट भी शामिल थी|
वैसे तो इस रेजिमेंट का बंटवारा 2:1 के अनुपात में शांतिपूर्वक हो तो गया, मगर रेजिमेंट की बग्घी को लेकर दोनों देशों में बात अटक गयी| ऐसे में राष्ट्रपति की सवारी वाली इस बग्घी का फैसला सिक्का उछालकर करने की बात आयी, जिसमे भारत ने टॉस जीत लिया और ये बग्गी भारत की हो गयी|
26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू होने के बाद सबसे पहले भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने गणतंत्र दिवस के मौके पर इस बग्घी का इस्तेमाल किया था| बाद में भी कई बार इस बग्घी का इस्तेमाल भारतीय राष्ट्रपतियों द्वारा किया गया|
साल 1984 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद सुरक्षा कारणों की वजह से इस बग्घी के इस्तेमाल को बंद कर दिया गया और राष्ट्रपति बुलेट प्रूफ गाड़ियों में आने लगे|
भारत के 13 वे राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने 30 साल बाद बग्घी में बैठने की प्रथा को फिर से एक बार शुरू किया इसके बाद से अब तक इस प्रक्रिया को जारी रखा गया है|
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