उड़ीसा के पूरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर एक बहुत ही लोकप्रिय तीर्थस्थल है| इस तीर्थस्थल की रसोई पूरे विश्व में प्रसिद्द है| यहाँ हर रोज भगवान को चढाने के लिए महाप्रसाद का निर्माण किया जाता है| Jagannath Mandir Rasoi में इस महाप्रसाद को तैयार करने के लिए करीब 500 रसोइये और उनके करीब 300 सहयोगियों की मदद ली जाती है|
Jagannath Mandir Rasoi | भगवान जगन्नाथ मंदिर के रसोई की विशेषता
इस मंदिर के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित इस रसोई को दुनिया की सबसे बड़ी रसोई माना जाता है| हर साल इस मंदिर में दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु शामिल होते है| यही वजह है कि इस मंदिर में लाखों की तादात के हिसाब में ही खाना बनाया जाता है| हर दिन भगवान जगन्नाथ को 6 बार भोग लगाया जाता है|
यहाँ बनाये जाने वाले 56 व्यंजनों का निर्माण धार्मिक पुस्तकों के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही पकाया जाता है| यह भोजन पूरी तरह से शाकाहारी होता है, जिसमे कांदा-लहसुन का प्रयोग बिलकुल नहीं किया जाता है|
सबसे खास बात यह है कि इस भोग को मिट्टी के बर्तनों में बनाया जाता है और इन्हें लकड़ी के चूल्हे में पकाया जाता है| यहाँ खाना पकाने के लिए आज भी पारंपरिक शैली का ही प्रयोग किया जाता है| रसोई के करीब में स्थित गंगा-यमुना नामक दो कुँए है, जिनके पानी का उपयोग भोजन बनाने के लिए किया जाता है|
कब और कैसे हुई थी इस रसोई की शुरुवात
मान्यता है कि 11वीं शताब्दी में राजा इंद्रवर्मा के समय जगन्नाथ मंदिर की रसोई शुरू हुई थी| तब पुरानी रसोई मंदिर के पीछे दक्षिण में बनाई गयी थी| आज के समय में मौजूद रसोई का निर्माण उस समय के राजा दिव्य सिंहदेव ने 1682 से 1713 ईस्वी के बीच बनवाई थी| इसी रसोई में आज भी भोग बनाया जा रहा है|
यहां पीढ़ियों से कई परिवार भोग बनाने का काम करते है| हर रोज शुद्ध और सात्विक भोग बनाने के लिए यहां हर दिन नए बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता है|
आपको बता दें कि यह प्रक्रिया हर रोज पूरे सालभर तक चलती है| सबसे खास बात यह है कि यहाँ इस महाप्रसाद को चाहें 10 हजार लोग खाये या 10 लाख लोग, यह न तो कभी कम पड़ता है और न ही कभी ज्यादा होता है| इस महाप्रसाद का एक भी दाना व्यर्थ नहीं जाता है|
ऐसे बनाया जाता है भगवान जगन्नाथ का भोग
भगवान के भोग में होने वाले 6 रसों का यहां ख़ास ख्याल रखा जाता है। भोग के लिए बनाये गए खाने में मीठा, खट्टा, नमकीन, तीखा, कड़ना और कसैला स्वाद शामिल किया जाता है| इनमें तीखे और कड़वे स्वाद वाले भोजन का नैवेद्य भगवान को चढ़ाना वर्जित है|
जगन्नाथ मंदिर की रसोई में रोज़ाना 56 भोग बनाये जाते है, जिसमें कम से कम 10 तरह की मिठाईयां शामिल होती है| सब्जियों में मूली, देसी-आलू, केला, बैंगन, सफेद और लाल कद्दू, कन्दमूल, परवल, बेर और अरवी का इस्तेमाल किया जाता है|
मंदिर की रसोई में केवल मूंग, अरहर, उड़द और चने की दाल ही बनाई जाती है| जगन्नाथ भगवान को लगाए जाने वाला ये भोग पूरी तरह से सात्विक होता है, जिसमें लौंग, आलू, टमाटर, लहसुन, प्याज तथा फूल गोभी का इस्तेमाल नहीं किया जाता|
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