अरब सागर के तट से करीब 18 किलोमीटर की दूरी पर केरल के मल्लापुरम जिले में कोडिन्ही नामक गांव स्थित है| इस गांव में जुड़वा बच्चें पैदा होने का चलन है|
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नन्नाबरा पंचायत के इस इलाके में दशकों से जुड़वाँ बच्चे ही पैदा हो रहे है| करीब दो हजार लोगों की आबादी वाले इस गांव का नाम अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लिए जाने लगा है|
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अलग-अलग देशों के शोधकर्ता इस गांव में आकर जुड़वा बच्चों के पैदा होने के रहस्य का पता लगाने की कोशिश कर रहे है|
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कोडिन्ही और उससे लगे कोट्टेकल के इलाके में जुड़वा बच्चों के करीब 400 जुड़वाँ लोग रहते है| जिनमें 64 साल के बुजुर्ग से लेकर 6 महीने के बच्चे भी शामिल है|
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इस गांव में जुड़वा बच्चों की जन्म दर भारत में पैदा होने वाले जुड़वा बच्चों के जन्म दर से कई ज्यादा है| बता दें कि इस गांव में भारत का पहला जुड़वा-रिश्तेदार संघ बनाया गया है|
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2008 में करीब 30 जुड़वाँ बच्चों और उनके माता - पिता के साथ मिलकर भारत में पहली बार 'द ट्विन्स एंड किंस असोसिएशन' की स्थापना की गयी| जो बच्चों की पढाई और देखरेख के लिए काम करते है|
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यहाँ के निवासियों के अनुसार सबसे पुराना जुड़वाँ जोड़ी का जन्म वर्ष 1949 में हुआ था| साल बीतने के साथ कोडिन्ही में जुड़वा जोड़ियों की संख्या लगातार बढ़ते जा रही है|