विश्व के सात अजूबों में शामिल ताजमहल जो आगरा में स्थित है| इस महल को साल 1628 से 1658 के बीच मगल बादशाह शारजहां ने अपनी तीसरी बेगम मुमताज महल की याद में बनाया था|
स्वर्ण मंदिर, अमृतसर
श्री हरमंदिर साहिब (देवस्थान) जिसे श्री दरबार साहिब और विशेष रूप से स्वर्ण मंदिर के नाम से जाना जाता है| यह मंदिर सिख धर्म के लोगों का धार्मिक गुरुद्वारा है,
स्वर्ण मंदिर, अमृतसर
जिसे भारत के पंजाब में अमृतसर शहर में स्थापित किया गया है| इस मंदिर की स्थापना साल 1574 में चौथे सिख गुरु रामदासजी ने की थी|
सूर्य मंदिर, ओडिसा
13 वीं शताब्दी में बना कोणार्क सूर्य मंदिर उड़ीसा राज्य के जगन्नाथ पूरी से करीब 35 किमी उत्तर-पूर्व में कोणार्क नामक शहर में प्रतिष्ठित है|
सूर्य मंदिर, ओडिसा
यह मंदिर बहुत बड़े रथ के आकर में बना हुआ है, जिसमे कीमती घातुओं के पहिये, पिलर और दीवारें बनी है| अद्भुत कोणार्क मंदिर यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल भी है|
खजुराहों, मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहों शहर में बना यह प्राचीन मंदिर स्थित है| इतिहासकारों के मुताबिक 12 वीं शताब्दी से खजुराहों मंदिर के समूह में कुल 85 मंदिर है,
खजुराहों, मध्यप्रदेश
इनमे से अब केवल 20 मंदिर ही बचे हुए है| इन मंदिरों में हिन्दू और जैन धर्म की परंपराओं और उनके इतिहास का वर्णन किया गया है|
नालंदा विश्वविद्यालय, पटना
इस विशाल बौद्ध मठ का निर्माण भारत के मगघ साम्राज्य यानी वर्तमान में बिहार में किया गया था| यह जगह बिहार शरीफ नगर से पटना के दक्षिण की तरफ 95 किलोमीटर दूर है|
नालंदा विश्वविद्यालय, पटना
यह स्थान 7 वीं शताब्दी से 1200 ई तक पढ़ने का मुख्य स्थान था| इस विश्वविद्यालय में तिब्बत, चाइना, कोरिया और मध्य एशिया से भी लोग पढ़ने के लिए आते थे|
धोलावीरा, गुजरात
पश्चिम भारत के गुजरात राज्य में कुटच जिले के भचाऊ तालुका के खादिरबेट गांव की एक जगह है| यह गांव राधनपुर से करीब 165 किमी दूर है| यहां के स्थानीय लोग इसे कोटड़ा टिम्बा भी कहते है |
धोलावीरा, गुजरात
यह जगह हड़प्पा संस्कृति से संबंध रखने वाली भारत की प्रमुख आर्कियोलॉजिकल जगहों में से एक है| यह स्थल सिंधु सभ्यता का एक अनूठा नगर था|
हम्पी, कर्नाटक
उत्तरी कर्नाटक में स्थित, सम्राट अशोक के माइनर रॉक शिलालेख नट्टुर और उड़ेगोलन के अनुसार यह साम्राज्य 3 री शताब्दी के दौरान अशोक साम्राज्य का ही भाग था|
हम्पी, कर्नाटक
यहां घाटियों और टीलों के बीच 500 से भी अधिक स्मारक चिन्ह है| इनमें मंदिर, महल, तहखाने, जल-खंडहर, पुराने बाज़ार, शाही मंडप, गढ़, चबूतरे, राजकोष ऐसी कई इमारतें है|